जनसभा का परिचय 

जनसभा.org एक नई सोच है। हिन्दी, विश्व की तीन सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक फिर भी पुस्तक प्रकाशन में बहुत पीछे। यह व्यवस्था का विकार है या पाठक की उदासीनता? नवीन विचारों की कमी है या समकालीन उपभोक्ता की अपेक्षा से कम एक उत्पाद? संभवतः सारे कारण हैं। जनसभा एक प्रयास है, एक साधना है इस दिशा में।
जनसभा के तीन स्तंभ हैं – भूमि, भाषा एवं भाव। भारत भूमि, हिन्दी भाषा एवं भाव पारदर्शिता का। हिन्दी अगर हमारी मातृ भाषा है तो सारी मूलतः भारतीय भाषाएं हमारी मा-सी (मौसी)।

जनसभा क्यों

जनसभा में हमारा प्रयास है प्रकाशक-लेखक के बीच एक नई पारदर्शिता लाने का। हमारी महत्वाकांक्षा है हिन्दी के लेखकों को लेखनी से ही पूरी आजीविका यापन हो, भाषा की सेवा में आर्थिक संघर्ष कम से कम हो।

जनसभा के सारे प्रकाशन भारत हित एवं भारतीयता के अध्ययन-प्रचार को समर्पित हैं।

आइये जुड़ें, आगे बढ़ें एवं हिन्दी को बिंदास बनाएं।

अपनी पुस्तक प्रकाशित करवाएँ

यदि आप लिखते हैं और आप अपना लिखा jansabha.org से प्रकाशित करवाना चाहते हैं तो jansabha.org से प्रकाशन की प्रक्रिया बहुत सरल है।

jansabha.org किन-किन विधाओं में पुस्तकें प्रकाशित करता है?

  • कथा जैसे कहानी-संग्रह, लघुकथा-संग्रह, उपन्यास, विज्ञान-गल्प, मिथक, फँतासी साहित्य इत्यादि
  • कथेतर जैसे सेल्फ़-हेल्प (जीवनोपयोगी साहित्य), जीवनी-आत्मकथा, राजनीतिक, ऐतिहासिक, सामाजिक तथ्यपरक साहित्य, यात्रा-वृत्तांत, व्यंग्य साहित्य, ट्रूएकाउंट, संस्मरण इत्यादि।
  • कविता कविता, गीत, ग़ज़ल समेत कविता की तमाम विधाओं की पुस्तक
  • अनुवाद भारतीय तथा विदेशी भाषाओं के साहित्य का हिन्दी अनुवाद
अन्य- इसके साथ-साथ यदि आपकी रुचि कुछ अलग लिखने की है, तो भी आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।

आपको क्या करना है?

  • टंकित पांडुलिपि तैयार करना- वैसे तो इन दिनों ज़्यादातर लेखक अपने लैपटॉप या मोबाइल में ही अपनी रचनाएँ टंकित कर लिखते हैं। लेकिन हाथ से पेपर पर लिखने वाली संख्या भी काफ़ी है। यदि आप अपनी हस्तलिपि में लिखते हैं तो भी उसे कंप्यूटर पर टंकित कर लें। कोशिश करें कि आप अपनी पांडुलिपि ख़ुद ही टंकित करें। इससे आपको दो लाभ होंगे। पहला तो आपको हिन्दी में कंप्यूटर/मोबाइल पर लिखना आ जाएगा, जिसका इस्तेमाल आप भविष्य में अपनी ही पुस्तक को ऑनलाइन प्रचारित-प्रसारित करने में कर पाएँगे। दूसरा, आपके स्वयं के टाइप करने से टाइपिंग (टंकण) की ग़लतियाँ कम होंगी। अपनी प्रस्तावित पुस्तक की पांडुलिपि MS Word में तैयार करें और टंकण के लिए युनिकोड (मंगल फ़ॉन्ट) का इस्तेमाल करें। यदि आप युनिकोड में टाइप नहीं कर पाते। आप किसी लिगेसी फ़ॉन्ट (जैसे कृतिदेव, चाणन्य, वाकमैन-चाणक्या, शिवा, शुषा इत्यादि) में लिखते हैं तो चिंता की कोई बात नहीं। आप इस रूप में भी अपनी पांडुलिपि जमा कर सकते हैं।
  • त्रुटिरहित पांडुलिपि- हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि यदि आपकी पांडुलिपि में भाषा और व्याकरण की ग़लतियाँ कम रहेगी तो संपादकों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हालाँकि हर प्रकाशक की संपादकीय टीम प्रकाशन-पूर्व भाषा और व्याकरण की विसंगतियाँ ठीक करने का प्रयास करती है, फिर भी आपकी पांडुलिपि में यह जितना कम होगा, उसका काम उतना आसान और बेहतर होगा।
  • विचारार्थ पांडुलिपि भेजना- आपको MS Word या pdf फ़ॉरमेट में अपनी पांडुलिपि नीचे दिए गए ईमेल पते पर भेजनी होगी। jansabha.org डाक द्वारा पांडुलिपि स्वीकार नहीं करता। अपनी हस्तलिखित पांडुलिपि की स्कैन्ड कॉपी भी कृपया न भेजें। उस प्रारूप में प्राप्त पांडुलिपियों पर विचार नहीं किया जाएगा।

विचारार्थ पांडुलिपि में क्या शामिल हो?

  • कहानी-संग्रह के लिए- यदि आप कहानी-संग्रह की पांडुलिपि भेजना चाहते/चाहती हैं तो अपनी 2-3 कहानियाँ और अन्य कहानियों का अधिकतम 50-50 शब्दों का सारंभ भेजें।
  • उपन्यास के लिए- उपन्यास का शुरुआती 30% या शुरुआती 50 पृष्ठ (इनमें से जो अधिक हो) भेजें। इसके साथ ही उपन्यास का अधिकतम 200 शब्दों का सारांश भेजें।
  • नॉन-फ़िक्शन के लिए- प्रस्तावित पुस्तक के 2-3 अध्याय, साथ में पुस्तकें की रूपरेखा, विषय-सूची और शेष अध्यायों के 50-50 शब्दों के सारांश भेजें।
  • कविता की पुस्तकें के लिए- अपनी लगभग 10 प्रतिनिधि रचनाएँ (कविताएँ या ग़ज़लें या गीत, या जिस भी प्रकार की कविता लिखते/लिखती हों) भेजें।
  • इसके साथ ही- उपर्युक्त 4 बिंदुओं के अलावा पांडुलिपि के साथ अपना परिचय (जीवन परिचय, शिक्षा-दीक्षा इत्यादि) भी अवश्य भेजें।

आपको jansabha.org की प्रतिक्रिया कब और कैसे प्राप्त होगी?

  • विचारार्थ पांडुलिपि प्राप्त होने के पश्चात jansabha.org से अधिकतम 48 घंटों में प्राप्ति की सूचना (ईमेल द्वारा) प्राप्त होगी।
  • कविता की किसी पांडुलिपि पर हमारे संपादकों की प्रतिक्रियाएँ प्राप्त होने में कम-से-कम 10 दिन और अन्य विधाओं की पांडुलिपि पर हमारे संपादकों की प्रतिक्रियाएँ मिलने में कम-से-कम 4 सप्ताह का समय लगता है।
  • संपादकों की प्रतिक्रियाएँ मिलने के बाद jansabha.org आपसे आपके मेल पर संपर्क करेगा।
  • सभी पत्रोत्तर ईमेल द्वारा ही किए जाएँगे।
  • पांडुलिपि के मूल्यांकन में लगने वाले समय से पूर्व जमाकर्ता के ईमेल का जवाब नहीं दिया जाएगा।
  • यदि आपने विचारार्थ कविताएँ जमा की है और आपको 10 दिनों में हमारी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती तो कृपया हमें ईमेल पर ही सूचित करें। यदि आपने विचारार्थ ग़ैरकविता-पांडुलिपि जमा की है और हमारी ओर से आपको 4 सप्ताह में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती तो कृपया हमें ईमेल करें।

प्रकाशन में लगने वाला समय

संपादकों द्वारा किसी पांडुलिपि को प्रकाशन की स्वीकृति मिलने के बाद, उस पुस्तक को छपकर बाज़ार तक पहुँचने में कम-से-कम 6 महीने का समय लगता है।

कृपया ध्यान दें

प्रकाशन से संबंधित किसी भी क़िस्म के सवाल या शंका-निवारण के लिए कृपया हमें ईमेल ही करें। फ़ोन पर इस विषय में जानकारी नहीं दी जाएगी।

जनसभा दल एवं मंडली

जनसभा दल

जनसभा का विचार निस्संदेह पुनीत मोदगिल का था लेकिन उस विचार को आश्रय देने में, उसे आगे बढ़ाने में जिन मित्रों का प्रोत्साहन मिला उसमें भरत शर्मा पहले स्थान पर हैं। हम दोनों ने ये माना कि हिन्दी पुस्तकों के प्रकाशन मापदंडों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है – चाहे वो छपाई हो, संपदाकीय विधा हो या लेखक के साथ पारदर्शिता आधारित सहभागिता, संवेष्टन (पैकेजिंग) हो या विपणन (मार्केटिंग)।
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पुनीत मोदगिल

पुनीत मोदगिल एक उद्यमी हैं जो डिजीटल अर्थ व्यवस्था से जुड़े हैं। रांची में पले-बढ़े पुनीत की हिंदी में रुचि एवं प्रेरणा विद्यालय के गुरुओं श्रीमती आनंद एवं श्री पाठक से प्राप्त हुई। सारी भारतीय भाषाओं को अपनी धरोहर मानने वाले पुनीत की आकांक्षा है कि हिंदी प्रकाशन का विकास हो एवं व्यावसायिक पारदर्शिता बढ़े।

Bharat-Sharma-ji

भरत शर्मा

आईआईटी दिल्ली से रसायनिक इंजीनियरिंग के बाद अपना उद्यम आरंभ किया। पिछले 20 वर्षों से कई राष्ट्रीय व्यापारिक एवं उद्यमी संस्थाओं जैसे ऑल इंडिया प्लास्टिक्स मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन (AIPM) में अपना नेतृत्व एवं योगदान दे रहे हैं। हिन्दी, सनातन एवं भारतवर्ष की कर्मठ सेवा में कई प्रोजेक्ट्स एवं अभियानों में तत्पर हैं। जनसभा भी इसी श्रृंखला में एक कड़ी है।

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पुनीत मोदगिल

पुनीत मोदगिल एक उद्यमी हैं जो डिजीटल अर्थ व्यवस्था से जुडें हैं। रांची में बढे पले पुनीत की हिंदी में रुचि एवं प्रेरणा विद्यालय के गुरुओं श्रीमती आनंद एवं श्री पाठक से प्राप्त हुई। सारी भारतीय भाषाओं को अपनी धरोहर मानने वाले पुनीत की आकांक्षा है कि हिंदी प्रकाशन का विकास हो एवं व्यावसायिक पारदर्शिता बढे।

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भरत शर्मा

आईआईटी दिल्ली से रसायनिक इंजीनियरिंग के बाद अपना उद्यम आरंभ किया। पिछले 20 वर्षों से कई राष्ट्रीय व्यापारिक एवं उद्यमी संस्थाओं जैसे ऑल इंडिया प्लास्टिक्स मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन (AIPM) में अपना नेतृत्व एवं योगदान दे रहे हैं। हिन्दी, सनातन एवं भारतवर्ष की कर्मठ सेवा में कई प्रोजेक्ट्स एवं अभियानों में तत्पर हैं। जनसभा भी इसी श्रृंखला में एक कड़ी है।

परामर्श मंडली

इस महत्वपूर्ण “हमारी हिन्दी” यात्रा में कई मित्र, विद्वान, बुद्धिजीवी, मार्गदर्शक, हिन्दी के सेवक साथ जुड़े उन सभी का आभार।

शुभचिंतक भी, मार्गदर्शक भी, हमारे परामर्श मंडली में हिन्दी जगत के बुद्धिजीवी जिनके हम कृतज्ञ हैं।

chandra-prakash-Ji

चन्द्र प्रकाश

काशी हिंदू विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान और भारतीय जनसंचार संस्थान, दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई। 22 वर्ष से अधिक समय तक मुख्यधारा पत्रकारिता की। आजतक समूह, एनडीटीवी, सीएनबीसी टीवी18, स्टार न्यूज, ज़ी न्यूज़ और नवभारत टाइम्स में संपादकीय पदों पर रहे। 2020 में ज़ी न्यूज के लोकप्रिय कार्यक्रम डीएनए के प्रभारी के रूप में काम करने के बाद टेलीविजन पत्रकारिता से विदाई ले ली। इसके बाद से अपनी रुचि के काम कर रहे हैं। डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाते हैं। इनकी बनाई ‘विभाजन की विभीषिका’ 2022 के अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल, गोवा में नॉन-फीचर फिल्म श्रेणी में चुनी गई। भारतीय जनसंचार संस्थान से गेस्ट लेक्चरर के रूप में भी जुड़े हैं।

Manisha-Kulshreshtha1

मनीषा कुलश्रेष्ठ

मनीषा कुलश्रेष्ठ एक सुपरिचित लेखिका हैं जो कथा जगत के कई महत्वपूर्ण सम्मान एवं फैलोशिप प्राप्त कर चुकी हैं। इनके अब तक सात कहानी-संग्रह एंव पांच उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें शिगाफ़, पंचकन्या, स्वप्नपाश किरदार और मल्लिका उल्लेखनीय हैं। इनकी कई कहानियां विदेशी भाषाओं में भी अनूदित हो चुकी हैं।स्वतंत्र लेखन और इंटरनेट की पहली हिन्दी वेबपत्रिका ‘हिन्दीनेस्ट’ का ग्यारह वर्षों से सम्पादन। ‘हिन्दीनेस्ट’ के अलावा, वर्धा विश्वविद्यालय की वेबसाइट ‘हिन्दी समय डॉट कॉम’ का निर्माण, ‘संगमन’ की वेबसाइट ‘संगमन डॉट कॉम’ का निर्माण व देखरेख।

Dr.-Madhup-Mohta

मधुप मोहता

मधुप मोहता ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से चिकिस्ता में स्नातक उपाधि (एम.बी.बी.एस.) प्राप्त की है। इसके अलावा आपने हांगकांग विश्वविद्यालय और स्टॉकहोम के आई.एफ़.एल. में अध्ययन किया है। आप भारत के विदेश मंत्रालय में सेवारत हैं और हांगकांग, काठमांडू, बेंकॉक और लंदन में भारतीय डिप्लोमेटिक मिशन्स में कार्य किया है। मधुप Indian Council of Cultural Relations और Foreign Service Institute के निदेशक भी रह चुके हैं। आपने गगनांचल नामक प्रसिद्ध हिन्दी पत्रिका का संपादन भी किया है।

arisudan-yadav

अरिसूदन यादव

अरिसूदन यादव एक पोडकास्टर हैं जो अपनी हिन्दी कविता पाठ एंव विवेचन के लिए जाने जाते हैं। वैश्विक ऊर्जा के उद्योग से जुडे हैं एवं डीजिटल माध्यम सें खासकर युवाओं में हिन्दी प्रचारित करने में सेवारत हैं।

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चन्द्र प्रकाश

काशी हिंदू विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान और भारतीय जनसंचार संस्थान, दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई। 22 वर्ष से अधिक समय तक मुख्यधारा पत्रकारिता की। आजतक समूह, एनडीटीवी, सीएनबीसी टीवी18, स्टार न्यूज, ज़ी न्यूज़ और नवभारत टाइम्स में संपादकीय पदों पर रहे। 2020 में ज़ी न्यूज के लोकप्रिय कार्यक्रम डीएनए के प्रभारी के रूप में काम करने के बाद टेलीविजन पत्रकारिता से विदाई ले ली। इसके बाद से अपनी रुचि के काम कर रहे हैं। डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाते हैं। इनकी बनाई ‘विभाजन की विभीषिका’ 2022 के अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल, गोवा में नॉन-फीचर फिल्म श्रेणी में चुनी गई। भारतीय जनसंचार संस्थान से गेस्ट लेक्चरर के रूप में भी जुड़े हैं।

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मनीषा कुलश्रेष्ठ

मनीषा कुलश्रेष्ठ एक सुपरिचित लेखिका हैं जो कथा जगत के कई महत्वपूर्ण सम्मान एवं फैलोशिप प्राप्त कर चुकी हैं। इनके अब तक सात कहानी-संग्रह एंव पांच उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें शिगाफ़, पंचकन्या, स्वप्नपाश किरदार और मल्लिका उल्लेखनीय हैं। इनकी कई कहानियां विदेशी भाषाओं में भी अनूदित हो चुकी हैं।स्वतंत्र लेखन और इंटरनेट की पहली हिन्दी वेबपत्रिका ‘हिन्दीनेस्ट’ का ग्यारह वर्षों से सम्पादन। ‘हिन्दीनेस्ट’ के अलावा, वर्धा विश्वविद्यालय की वेबसाइट ‘हिन्दी समय डॉट कॉम’ का निर्माण, ‘संगमन’ की वेबसाइट ‘संगमन डॉट कॉम’ का निर्माण व देखरेख।

Dr.-Madhup-Mohta

मधुप मोहता

मधुप मोहता ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से चिकिस्ता में स्नातक उपाधि (एम.बी.बी.एस.) प्राप्त की है। इसके अलावा आपने हांगकांग विश्वविद्यालय और स्टॉकहोम के आई.एफ़.एल. में अध्ययन किया है। आप भारत के विदेश मंत्रालय में सेवारत हैं और हांगकांग, काठमांडू, बेंकॉक और लंदन में भारतीय डिप्लोमेटिक मिशन्स में कार्य किया है। मधुप Indian Council of Cultural Relations और Foreign Service Institute के निदेशक भी रह चुके हैं। आपने गगनांचल नामक प्रसिद्ध हिन्दी पत्रिका का संपादन भी किया है।

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अरिसूदन यादव

अरिसूदन यादव एक पोडकास्टर हैं जो अपनी हिन्दी कविता पाठ एंव विवेचन के लिए जाने जाते हैं। वैश्विक ऊर्जा के उद्योग से जुडे हैं एवं डीजिटल माध्यम सें खासकर युवाओं में हिन्दी प्रचारित करने में सेवारत हैं।

मीडिया एवं आयोजन

जनसभा पाठकों एवं लेखकों को जोड़ने की एक कड़ी है समय-समय पर जनसभा ऐसे आयोजन करेंगे जिसमें आप भाग ले सकते हैं एवं हिंदी को आगे बढ़ने में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं।
ऐसे आयोजनों की अग्रिम सूचना प्राप्त करने के लिए अपने ईमेल अवश्य दें। साथ ही हमारे सोशल हैंडल्स से जुड़ें।
इस कड़ी में अपने सुझाव (एवं मीडिया साक्षात्कार अनुरोध, साहित्य उत्सव का आमंत्रण इत्यादि) हमें namaste@jansabha.org पर भी भेज सकते हैं।